“ बुद्धि से परे जाकर ही समाधान मिलता है”

क्योंकि बुद्धि यानि लॉजिकल ब्रेन वास्तव मैं जैविक RAM (Random Access Memory) है | जिसमें हम डेटा सेव और डिलीट कर सकते हैं | पर हमारा शरीर एक अल्ट्रा एडवांस मशीन है जिसमें एक सुपर कंप्यूटर इनबिल्ट हैं ..........इस पुरे सिस्टम को चलने के लिए इसमें एक चिप या ROM (Read Only Memory) भी है जिसमें प्रोग्राम प्रीलोडेड होते हैं, जिसे हम अवचेतन मन या सबकॉन्शियस माइंड कहते हैं | लॉजिकल ब्रेन का ही प्रयोग आप करते हैं और उसी के अनुसार आप का व्यवहार, कर्म या उद्देश्य तय है ऐसा मानते हैं |और कई लोग हैं जो इसे प्रमाणित भी करते हैं ..... मैं यहाँ अपनी बात को समझाने के लिए वर्तमान समय के पदार्थों का प्रयोग इसलिए कर रही हूँ, क्यों ये प्रश्न लॉजिकल ब्रेन के हैं और लॉजिकल ब्रेन का आध्यात्म से कोई लेना देना नहीं होता |वह वेद, गीता, क़ुरान, बाइबल रट सकता है, गहरी व्याख्या भी कर सकता है पर उसमें समाई आध्यात्मिकता को नहीं समझ सकता .................... न ही समझ सकता है ईश्वर को और न ही भाग्य को |

अब आते हैं मूल प्रश्नों पर कि देव (ईश्वर), देवत (भाग्य) के बिना कर्म फल प्राप्त हो सकता है या नहीं ?????????????????हमारे प्रश्न शुद्ध भौतिक हैं और रोम (ROM) पर सेव प्रोग्राम पर आधारित हैं या दूसरे शब्दों में केवल यंत्र से ही किसी कार्य को सिद्ध किया जा सकता है या नहीं ही है |क्योंकि ईश्वर और भाग्य ने लोगों को परेशान कर रखा है ................तो उत्तर है बिलकुल संभव है ........ हम ईश्वर को न माने, या भाग्य को न माने, कोई फर्क नहीं पड़ेगा |जैसे कोई न माने के कंप्यूटर में रेम और प्रोसेसर है, जो हमारे द्वारा किये गए कार्यों का आकलन करके उसे वैसे ही प्रस्तुत करता है, जैसे हम देखना चाहते हैं |हम नहीं मान रहें हैं कि कंप्यूटर में कोई रेम है या हार्ड डिस्क है, क्योंकि हम उसे देख नहीं पा रहे तो इसका अर्थ यह नहीं, कि कंप्यूटर हमारे आदेश नहीं मानेगा | ठीक इसी प्रकार कर्म से हम सबकुछ प्राप्त कर सकते हैं यदि हमारा कर्म इनबिल्ट प्रोग्राम यानि भाग्य के दायरे में हुआ तो |जैसे आप फोटोशॉप प्रोग्राम पर इमेज एडिट कर सकते हैं पर साउंड एडिट नहीं कर सकते या विडियो एडिटिंग सॉफ्टवेर पर वह काम नहीं कर सकते जो काम आप एक्सेल या टेली पर कर सकते हैं |ठीक इसी प्रकार कर्म के बल पर सबकुछ पा सकने के बावजूद हम सबकुछ नहीं पा सकते क्योंकि देव (प्रोग्रामर) ने जो प्रोग्राम किया है हम उसके दायरे से बाहर नहीं जा सकते |

उदाहरण के लिए एक कोयला खान के मजदूर का बेटा यदि राष्ट्रपति बन सकता है तो कोयला खदान में कितने मजदूर हैं, क्या उनके बेटे भी राष्ट्रपति बन जाते हैं ??????????????कर्म से ही कोई यदि अपना भाग्य परिवर्तित कर सकता तो गधा घोड़े से ज्यादा कर्मवादी होता है वह अपना भाग्य क्यों नहीं बदल पाता ???????????????सबसे ज्यादा मेहनत मजदूर करते हैं पर क्या वे इन्जीनिएर से ज्यादा कमा पाते हैं ??????????????IIM में कितने स्टूडेंट एक साथ बैठते हैं पर क्या वे सभी बराबर तनख्वाह पा लेते हैं ????????????????नहीं ................!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

क्योंकि केवल कर्म से ही सबकुछ संभव नहीं होता | जैसे बिना प्रोसेसर और रेम के आपका कंप्यूटर बेकार है | मैं यहाँ हिंदी में टाइप कर रही हूँ और मैं यह कहूँ कि मैं कर्म कर रही हूँ इसलिए कंप्यूटर में हिंदी टाइप हो रहा है और न करूँ तो नहीं होगा |

यह बात बिलकुल सही है कि मेरे कर्म करने की वजह से ही यह यह टाइप हो रहा है पर यदि इसमें हिंदी फॉण्ट ही न हो तो क्या हिंदी में टाइप सम्भव है ??????????????????

इसलिए कर्म के साथ ईश्वर और भाग्य भी महत्वपूर्ण हैं | आप ईश्वर या भाग्य को माने या न माने, वे अपना काम करते हैं |ईश्वर और भाग्य को आप केवल लॉजिकल ब्रेन से नहीं समझ सकते इसलिए मूर्ति, नामजप, प्रार्थना और जटिल पूजन विधि को माध्यम बनाया गया है, ताकि लॉजिकल ब्रेन से परे यानि बुद्धि से परे जाया जा सके और ब्रम्ह को समझ सकें, जैसे प्रोसेसर, प्रोग्राम और रेम को समझे बिना भी आप कंप्यूटर का प्रयोग कर लेते हैं पर कंप्यूटर का कुशलता पूर्वक प्रयोग के लिए आपको उसकी थ्योरी, सर्किट डायग्राम की विधिवत शिक्षा की आवश्यकता होती है |

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