पति-पत्नी ( शिव-शक्ति )

सभी मानवीय रिश्तों में केवल पति-पत्नी का ही रिश्ता एकमात्र ऐसा रिश्ता है जो पूर्णता प्रदान करता है किसी व्यक्ति को |यह मेरी व्यक्तिगत धारणा है हो सकता है आप मुझसे असहमत हों और असहमत होना आपका मौलिक अधिकार भी है |लेकिन मैं ऐसा मानती हूँ कि दुनिया के जितने भी सम्बन्ध मानव समाज ने स्थापित या निर्माण किये हैं, उन सभी में माँ-बच्चों के सम्बन्ध के बाद जो पूर्णता प्रदान करने वाला सम्बन्ध है वह पति-पत्नी का ही होता है |
ये दो रिश्ते ही ऐसे रिश्ते हैं जो ईश्वरीय हैं, प्राकृतिक हैं लेकिन पति-पत्नी का सम्बन्ध व्यक्ति को पूर्णता प्रदान करता है |
स्त्री और पुरुष दो शक्तियां हैं और दोनों शक्तियों का जब मिलन होता है तब वह शिव-शक्ति बन जाती है .......इसलिए मैं पति-पत्नी के सम्बन्ध को शिव-शक्ति के रूप में सम्पूर्ण सम्बन्ध मानती हूँ | बाकी दुनिया में जितने भी सम्बन्ध हैं सिवाय माँ बच्चों के, सभी मानव निर्मित हैं, समाज द्वारा निर्मित हैं और अधूरे हैं |
पूर्णता तो केवल पति-पत्नी के सम्बन्धों में ही है यदि यह सम्बन्ध स्वार्थ व भौतिकता से ऊपर उठ चूका हो |
यही ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें व्यक्ति की न केवल शारीरिक आवश्यकताएं पूरी होतीं हैं, बल्कि भावनात्मक सशक्तता व आत्मविश्वास भी प्राप्त होता है |
यदि पति पत्नी का सम्बन्ध केवल शरीर व भौतिक आवश्यकताओं तक ही सीमित न रहकर आत्मा की गहराई तक उतरता हो, तब उनसे सुखी इस दुनिया में कोई नहीं हो सकता |
फिर चाहे वे भौतिक अभाव में जी रहे हों या फिर दुनिया भर के तनावों में, वे एक दूसरे को टूटने नहीं देते और जीवन संघर्ष में आने वाली हर बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं |

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