सबसे पहले तो उन दो स्त्रियों को उनकी जीत पर बधाई देती हूँ, जिन्होंने पन्द्रह वर्षों की लम्बी लड़ाई लड़ी उस बाबा के विरुद्ध जिसके साथ छः करोड़ समर्थक हैं | जिसके सामने पुलिस, नेता से लेकर सरकार तक नतमस्तक है, उसके एहसानों के बोझ से दबे हुए हैं | उन्हें इन्साफ मिला क्योंकि कुछ ईमानदार आज भी हैं | उन सभी अधिकारीयों, वकीलों व जजों के लिए हृदय से शुभकामनायें देती हूँ जिन्होंने दुनिया भर के दबाव व धमकियों के बाद भी न्याय का साथ दिया |
बाबा रामरहीम को लेकर तीन चार दिनों से बहुत ही तनाव में थी जनता | कई ट्रेने रद्द की गयीं, लगभग दो सौ बटालियन अर्धसैनिक बल और पुलिस के अलावा सेना लगानी पड़ी शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिए | इनका खर्च लगभग साढ़े तीन करोड़ प्रति दिन आ रहा था |


 फिर भी पंचकुला में आगजनी हुई, कई मारे गये और कई घायल हुए | क्योंकि सरकार ने सुरक्षाबलों को केवल शो पीस के रूप में वहाँ सजा कर रखा था, न कि सुरक्षा व अराजक तत्त्वों पर कार्यवाही करने के उद्देश्य से | चलिए अंत में बाबा को गिरफ्तार कर ही लिया गया चाहे पन्द्रह वर्ष लग गये निर्णय लेने में |

 Headlines




लगभग ऐसे ही विचार दो तीन दिनों से लगातार पढने मिल रहे है | ऐसा लग रहा है की सारा देश ही सात्विक है केवल आरोपी बाबा ही एक मात्र अनैतिक, लम्पट होते हैं | 

“जाने क्यों मुझे आज, चीन के थियानमेन चौक नरसंहार (1989: Massacre in Tiananmen Square) की बात याद हो आयी ….. जब विद्यार्थियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करना शुरू कर दिया था और व्यवस्थाओं को pause करने की कोशिश मात्र की और फिर पूरी भीड़ को तोपों से घेर कर उड़ा दिया गया था ।”

क्या आप भी थियानमेन चौक के छात्रों जैसी मौत की कामना करेंगे अपने लिए , क्योंकि आप लोग भी बलात्कारी, अपराधी, हत्यारे, घोटालेबाज नेताओं के प्रति वैसी ही अंधश्रृद्धा व भक्ति रखते हैं ??????????



आप में से कई होंगे जो लम्पट बाबाओं के उन अंधभक्तों को सजा देने के लिए जलियांवाला बाग़ या थियानमेन चौक काण्ड करने वाले हिटलर्स को आज याद कर रहे होंगे | आपके हाथ में सत्ता होती तो आप भी हिटलर, तुंग या डायर बनने में जरा भी देर नहीं लगाते…

है नाआआआआआ ???????????????


 आज वे सारे सामूहिक नरसंहार आपको सही लग रहे हैं, आज डायर, तुंग और हिटलर आपके आदर्श हो गये |
लेकिन जब आपका अपना नेता या आदर्श ऐसे ही किसी आरोप में घिर जाए, आपका ही अपना नेता कई अन्य जघन्य अपराधों का दोषी होता है, तब भी क्या यही विचार आते हैं ???????????


 क्या आप जब वोट देने जाते हैं तब आपको नहीं पता होता कि आपके नेता के ऊपर किस किस अपराधों के आरोप लगे हैं और कितने केस चल रहे हैं उनपर ????????????????


 लेकिन तब आपको ऐसे नेताओं के समर्थन करने पर इतनी ग्लानि नहीं होती स्वयंपर और न ही ऐसी कामना करते होंगे जैसे बलात्कारी बाबाओं के अनुयाइयों के अपने बाबा के बचाव में खड़े होने पर करते हैं | आपका अपना नेता करोड़ों रूपये का चुना लगा दे देश को या लाखों किसानों को मरने के लिए छोड़कर लाखों करोड़ों का टैक्स व कर्ज माफ़ कर दे अपने आकाओं को, आप न तो ऐसे नेताओं का समर्थन करना छोड़ेंगे और न ही अपने लिए थियानमेन चौक या जालियांवाला बाग़ वाली मौत मांगेंगे…

क्यों ????????????????


क्या फर्क है आपमें और राम-रहीम, आसाराम, रामपाल या नित्यानन्द जैसे बाबाओं के अनुयाइयों में ???????????



रामरहीम की कोई अनुयाई कहती है कि एक सेंकेड में इण्डिया को नक़्शे से मिटा देगी | उसके उस वक्तव्य में और ओवैसी का पन्द्रह मिनट में हिन्दुओं को मिटा देने की बात करना या फिर थियानमेन चौक की मौत देना बाबाओं के अनुयाइयों को, सब एक ही भाव से निकले बिलकुल एक सी बात नहीं है ?????????????????



अब तक आप समझ चुके होंगे कि मैं वह नहीं लिखने जा रही जिसकी अपेक्षा आप सब करे रहे थे, बल्कि समाज का दोगलापन दिखाने जा रही हूँ | समाज स्वयं को बेदाग़, पवित्र, सात्विक, नैतिक दिखलाता है, 


लेकिन यदि किसी बाबा पर कोई आरोप लग जाये किसी स्त्री से सम्बन्ध या बलात्कार का तब एक स्वर में कहते हैं, “बाबा लोग हरामखोर होते हैं, पैसा और स्त्री दोनों लूटते हैं और फिर भी भगवान् की तरह पूजे जाते हैं | ऐसे बाबाओं से समाज व राष्ट्र को मुक्ति दिलाये बिना राष्ट्र का हित नहीं हो सकता…”


इतिहास उठाकर देख लें या फिर पुराण और देवी-देवताओं से सम्बन्धित कथा-कहानियाँ, सभी के मूल में आप सेक्स को पायेंगे | चाहे रावण की कहानी पढ़ें, चाहे ऋषि-मुनियों की या राजनेताओं और बाबाओं की कहानियाँ, अधिकांश के साथ स्त्री और कामुकता सम्बन्धित रही | द्रौपदी की कहानी हो या सीता की, केंद्र में पुरुष कामुकता ही रही | 

आसाराम हो, रामरहीम हों या नित्यानन्द या और वे सभी बाबा जो बलात्कार के आरोपी रहे, सभी एक ही अमोघ अस्त्र से ध्वस्त किये गये या किये जा रहे हैं और वह है  बलात्कार का आरोप | यह ऐसा रामबाण अस्त्र सिद्ध हुआ जिससे लाखों करोड़ों अनुयाइयों वाले ढोंगी बाबाओं व मानव शरीर धारी भगवानों को आसमान से फर्श पर पटक दिया गया |


मैं हमेशा यह सब देखकर समाज के मनोविज्ञान को समझने का प्रयास करती रही कि ऐसा क्यों होता है ??????????????
 समाज में सबसे बड़ा अपराध स्त्री से सम्बन्ध या बलात्कार है | शायद यही कारण है कि यह धारणा प्रचलित हो गयी कि स्त्री नरक का द्वार है |


यदि पता चले कि जनता के खून पसीने की कमाई को कानून और पुलिस का डर दिखाकर, टैक्स के नाम पर लूटे धन को देश व नागरिकों के हित में लगाने की बजाये कहीं और ठिकाने लगा दिया गया, तब कोई फर्क नहीं पड़ता | तब न ही उतना गुस्सा आता है .. उलटे उन्हीं नेताओं के पीछे पीछे दुमछल्ला बने घुमने लगते हैं, उनकी जयजयकार लगाते हैं, उन्हीं को बार बार चुनाव जिताते हैं | तब आपकी नेताभक्ति गलत नहीं मानी जाती और आपके पास बचाव होता है कि कोर्ट में केस चल रहा है, कोर्ट ने अभी कोई फैसला नहीं सुनाया |



हम सब जानते हैं की कोर्ट में बैठा जज, जांच अधिकारी, पुलिस सभी इन्सान ही हैं और जिसकी सरकार होगी, उसी के गुलाम होंगे | हम सब जानते हैं कि एक मामूली सिपाही से लेकर जज तक चंद रुपयों में बिक जाते हैं | हम सब जानते हैं कि हर राजनेता बिकाऊ होता है बस सही कीमत मिलनी चाहिए | ऐसे में असीमानन्द, बाबु बजरंगी का बरी हो जाना एक सामान्य घटना है | साक्षी महाराज पर हत्या और रेप का आरोप लगे होने के बाद भी सांसद बना बैठा है | लेकिन लाखों बाबाओं अध्यात्मिक गुरूओं में कोई दो चार लांछित होते हैं तो आप सारे बाबाओं, अध्यात्मिक गुरुओं को हरामखोर, लम्पट घोषित कर देते हैं |

 क्यों ?????????????????


आज सोशल मिडिया पर आसाराम, रामपाल, रामरहीम ही छाये हुए हैं, ऐसा लग रहा है कि एक सात्विक देश में जहाँ न गली में लड़कियों को ताड़ने वाले नहीं पाए जाते, जहाँ बाबाओं के अलावा और कोई बलात्कार करता ही नहीं …वहाँ ये तीन चार बलात्कारियों के कारण देश का सर शर्म से झुक गया |  सोशल मिडिया में जो लोग बलात्कारी बाबाओं पर टीका-टिपण्णी सबसे अधिक कर रहे हैं, इनमें से अधिकांश वही शरीफ लोग हैं, जिन्हें बात-बात पर सरे-आम माँ-बहनों का मौखिक बलात्कार करने में शर्म नहीं आती |




यदि इनके कॉमेंट्स या पोस्ट पर ध्यान दें तो ऐसा लगता है कि ये वे कुंठित लोग हैं जो कामाग्नि से पीड़ित हैं | शराफत की बेड़ियों ने इनको जकड़ रखा है, वरना तो हर लड़की इनके नीचे से ही निकलती | ऐसा लगता है कि सारा समाज ही कामाग्नि में जल रहा है और इनकी स्थिति बिलकुल उस भूखे कुत्ते की तरह हो रखी है, जिसके सामने कोई हड्डी चबा रहा हो और वह पट्टे में बंधा विवश देख रहा हो |


मैं आज तक नहीं समझ पाया कि समाज कमर से ऊपर उठ क्यों नहीं पाया आज तक | हज़ारों धार्मिक ग्रन्थ पढ़ने वाले, हजारों पंथ, मत व कर्मकाण्डो को करने के बाद भी, बड़ी बड़ी डिग्रियाँ बटोरने के बाद भी स्त्री कामाग्नि मोह से बाहर निकलने में अपने आप को इतना असहाय क्यों हो गया यह समाज ????????????



कई महत्वपूर्ण घटनाएं हो रहीं है, कई गाँव बाढ़ की चपेट में बर्बाद हो रहे है, कई मर रहे हैं, कई भूख बेकारी से मर रहे हैं…लेकिन यही बलात्कारों पर चटखारे लेने वाला समाज अँधा-गुंगा-बहरा बन जाता है ऐसे विषयों पर | समाज को पता होता है कि कौन सा नेता अपराधी है और कौन बलात्कारी है…लेकिन तब गाँधी जी के तीन बंदर बन जाते हैं |

यह ध्यान रखें जब तक किसी को सजा देने के लिए स्त्रियों और कामुकता को आधार बनाया जाएगा, समाज उन्नत नहीं हो पायेगा | किसी स्त्री के साथ बलात्कार हो या किसी व्यक्ति के साथ या किसी समाज के साथ…..बलात्कार अक्षम्य अपराध ही माना जायेगा | बलात्कार का सीधा सा अर्थ है बल पूर्वक किया गया अत्याचार | अब अत्याचार भूमाफियों द्वारा भूमि हथियाकर किया जाये, नए नए टैक्स थोपकर किया जाये…..सभी बलात्कार ही हैं | लेकिन आप केवल स्त्री पर हुए अत्याचार को ही बलात्कार मानकर बाकी बलात्कारों को अनदेखा कर रहे हैं, तो आप वास्तव में नम्बर एक दोगले हैं |

यदि जनता के साथ, देश के साथ, मातृभूमि के साथ बलात्कार करने वालों के समर्थन में समाज है तो यह देश व समाज बलात्कारियों से मुक्त कभी नहीं हो पायेगा |





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