ईश्वर ने कोई भी ऐसी रचना नहीं की है जो व्यर्थ हो, जिसका कोई योगदान न हो या जो कोई कर्म न कर रहा हो | प्रत्येक प्राणी अपना अपना कर्म कर रहे हैं एक मच्छर भी आपकी नजर में दुनिया पर बोझ हो सकता है | क्योंकि वह केवल आपका खून चूस कर जी रहा है तो वह भी आपकी बहुत बड़ी भूल है | वह अपने प्राणों की बाजी लगाकर वह महत्पूर्ण कार्य कर रहा होता है, जो कोई और नहीं कर सकता |
आइये कुछ ऐसी ही बातों पर पहले ध्यान देते हैं:
हम ध्यान दें तो दिन भर हम अपने शरीर के कई अंगों को बिलकुल भूल जाते हैं | मच्छर उन अंगों को अपना डंक मारकर आपका ध्यान उस स्थान पर केन्द्रित करवाता है | इसके बदले उसे अपने तुच्छ जीवन से मुक्ति भी मिल जाती है यदि आपका हाथ सही निशाने पर पड़ा |भिखारी आपकी नजर में कोई कर्म करता हुआ नजर नहीं आता | लेकिन जरा आप उनकी जिंदगी जी कर देखें, तो पता चल जाएगा कि कर्म किसे कहते हैं | वे दुनिया भर की गालियाँ सुनते हैं, तिरस्कार सहते हैं केवल इसलिए ताकि आपको मानसिक शान्ति मिल सके |
आपने अनुभव किया होगा कि जब किसी को गाली दे देते हैं, किसी की निंदा कर लेते हैं तो बहुत बड़ा बोझ मन से उतर गया ऐसा अनुभव होता है | इसलिए समाज में गायत्री मन्त्र से अधिक लोकप्रिय है गालियाँ, माँ-बहनों का मौखिक बलात्कार | गायत्री मन्त्र, वंदेमातरम् आदि कहने में साम्प्रदायिक भेदभाव आ जाता है, लेकिन गालियों का जाप सभी समवेत स्वर में करते हैं बिना कोई भेदभाव किये |
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तो भिखारी भी अकर्मण्य या अनुपयोगी नहीं है | वह एक और बहुत महत्वपूर्ण कार्य करता है और वह यह कि आपके आय के स्त्रोत को अधिक जीवंत बनाता है |
अब आप सोच रहे होंगे कि भला मेरी आय के स्त्रोत से भिखारी का क्या लेना देना ???????????????
बिलकुल लेना देना है | भिखारी को भीख देना और किसी को उधार देना या नाम लिखवाकर 80C के अंतर्गत दान देने में बहुत बड़ा अंतर है | भिखारी को भीख दी जाती है तब भिखारी से कोई अपेक्षा नहीं रहती कि वह बदले में कुछ दे | बहुत हुआ तो यह भाव रहता है कि शायद ऊपर वाला मेरे इस एक रूपये की कुर्बानी से खुश होकर मेरे पाप कुछ कम कर दे, या भिखारी की दुआ से ही कुछ भला हो जाए |
लेकिन 80C के अंतर्गत दान देने पर आप अपना टैक्स बचाना चाहते हैं और साथ ही अपने अहंकार को भी बल देना चाहते हैं कि मैं दानी व्यक्ति हूँ | उधार तो शुद्ध व्यावसायिक मामला है उसे न तो दान में गिना जा सकता है और न ही भीख में |
अम्बानी अडानी का ही उदाहरण ले लेते हैं | वे मोदी जी की निःस्वार्थ सेवा करते हैं, संघ व भाजपा की निःस्वार्थ सेवा करते हैं, बदले में उनके लाखों करोड़ों के टैक्स और कर्जे माफ़ हो जाते हैं |
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