दुनिया के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग ईश्वर ने अपनी अपनी इबादत करने के लिए अलग अलग तौर-तरीकों, रहन-सहन और खान-पान वाले इंसानों को मेन्युअल बुक के साथ उतारा |

अब कोई इन्सान मेन्युअल पढ़कर भी गलती करता है तो दोष इंसान का ही, क्योंकि ईश्वर अब इतना दूर है कि वह कयामत के दिन ही पहुँच सकता है |

यह सब बिलकुल वैसा ही है, जैसे दूसरे ग्रहों में या अपने सौर मंडल से परे मानव अपने रोबोट या उपग्रह भेजते हैं | भारत, अमेरिका, चीन. रूस....सभी के अपने अपने रोबोट या उपग्रह होते हैं |

 उन्हें अपनी देखरख वहाँ खुद ही करनी होती है, जैसे मंगल में छोड़े गये रोबोट कर रहे हैं | सभी के अपने अपने डिजाइन होते हैं, सभी के अपने अपने ट्रेडमार्क होते हैं, अपने अपने तौर तरीके होते हैं.....

इसी प्रकार मानव भी होते हैं...कोई तिलक-चोटी रखता है, कोई दाढ़ी टोपी रखता है, कोई कृपाण-पगड़ी रखता है......और सभी अपने अपने ईश्वर से जुड़े होते हैं | जैसे रोबोट को फ्री विल मिला होता है अंतरिक्ष में अपने निर्णय स्वयं लेने के लिए, वैसे ही इंसानों को भी फ्री विल मिला होता है अपने निर्णय स्वयं लेने के लिए...

क्योंकि ईश्वर बिलकुल उसी तरह से असहाय होता है, जैसे मानव असहाय होता है अपने रोबोट पर कोई समस्या आने पर | यही कारण है कि न खुदा किसी को बचाने आता है दहशतगर्दों, भूमाफियाओं, धूर्त जुमलेबाज नेताओं से और नहीं ईश्वर बचाने आता है | पूरा का पूरा देश ही तबाह हो जाता है...और इश्वर और अल्लाह कयामत का इंतज़ार करते रहते हैं |

कितना आसान है न ईश्वर और मानवों के संबंधों को समझना ???

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