हर नई चीज का विरोध करना कुत्तों का स्वाभाविक गुण होता है । जैसे मोहल्ले में कोई नया कुत्ता आ जाये तो बड़े जोर-शोर से सभी विरोध करते हैं लेकिन फिर उनमें दोस्ती हो जाती है और सब कुछ सामान्य हो जाता है ।
यही गुण इंसानों में भी होता है इसीलिए कभी महंगाई का विरोध करते हैं, कभी एफडीआई का विरोध करते हैं, कभी जीएसटी का विरोध करते हैं, कभी कम्युटर का विरोध करते हैं, कभी नोटबन्दी का विरोध करते हैं, कभी गौमाँस निर्यात का विरोध करते हैं...लेकिन फिर सब सामान्य हो जाता है । ।
बस शुरु शुरु में भयभीत रहते हैं हर नई चीज से, इसलिए विरोध करते हैं जैसे कभी आधार कार्ड का विरोध करते थे । महँगाई का विरोध करने वाले इसलिए भयभीत थे कि 55 रूपये किलो की दाल भुखमरी ले आएगी, लेकिन फिर पता चला कि 200 रुपये किलो की दाल भी आसानी से हज़म हो जाती है और 30000/- रुपये किलो वाले कुकरमुत्ते का सूप भी आसानी से हज़म हो जाती है, तो अब महँगाई भी डायन से विकास हो गयी
किसी ने सही ही कहा है कि मानव पशुओं की ही एक उन्नत प्रजाति है । मूलभूत गुण पशुओं और मानवों में एक समान है ।

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