अधिकतर लोगों की धार्मिकता किताबी धार्मिकता है | बिलकुल वैसे ही जैसे कोई रट्टामार, फर्रे चलाकर डिग्रीधारी हो जाता है | इंटरव्यू में भी रटे-रटाये उत्तर देता है और इंजीनयर भी बन जाता है | फिर पुल गिरता है, बिल्डिंग गिरती है उस इंजीनियर द्वारा बनाए हुए और कई लोग मरते हैं | कोर्ट केस का ड्रामा होता है और इंजीनियर बाइज्जत बरी होता है |
बस यही सब धर्म के ठेकेदारों के साथ भी होता है | और यही सब होता है खोखले धार्मिकों के साथ | हर जगह लुटते हैं धर्म के नाम पर फिर भी अक्ल नहीं आती |
कुछ अच्छे सिरफिरे सही राह दिखाने की कोशिश करते हैं, जब सही धर्म समझाने की कोशिश करते हैं तो घमंड आ जाता है सामने कि हमें तो किताबें पढ़ी हैं...चाहे समझ में धेले भर न आयी हो, लेकिन धार्मिकता की डिग्री तो मिली हुई है |
इसलिए अकड़ है |
लाजवंती के पौधे की तरह छुईमुई आपकी धार्मिक भावनाएँ आहत हो जातीं हैं | फिर मैं इस्लाम और मजहबो की दुश्मन हो जाती हूँ या फिर हिन्दू और हिंदुत्व का |
लेकिन इनके अपने अपने टोलियो के ठेकेदार जो धंधा जमाये बैठे हैं धर्म का, उनसे इनको कोई शिकायत नहीं | क्योंकि मोटा कमीशन मिलता है | इनकी दाल रोटी ही चलती है ऐसे धंधों से क्योंकि जानते हैं ईश्वर और अल्लाह दोनों इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते |
गुलाम बना रखा है ईश्वर अल्लाह को | और मुर्ख लोग जाते हैं 259 रूपये देकर दर्शन करने |
अयोध्या जी मेरे सबसे पास का तीर्थ है | दुनिया भर से लोग आते हैं दर्शन...लेकिन मैं शायद ही कभी जाना पसंद करती हूँ क्योंकि यहाँ के पण्डे बड़े बदतमीज होते हैं | और श्रद्धालु तो और भी गए गुजरे | विशेष मौको पर तो बिना धक्कामुक्की ये दर्शन भी नहीं कर सकते और पुलिस न खड़ी हो तो अंदर से कई की लाश ही बाहर निकलेगी |
सारांश यह कि धार्मिक मूढ़ता से बाहर निकलिए | ईश्वर कोई सरकारी बाबू नहीं है और न ही चिड़ियाघर में रखा जो जानवर कि टिकट लेकर या रिश्वत देकर ही दर्शन होंगे | किसी बाग़ में चले जाएँ, किसी पेड़ के नीचे चले जाएँ या एकांत में अपने कमरे में ही बैठ जाएँ, और आंखे बंद कर ईश्वर को याद करें, ईश्वर के दर्शन हो जायेंगे | ईश्वर का यूँ तमाशा न बनायें |
दूसरी बात धार्मिक होने का अर्थ यह नहीं कि अपनी टोलियो को सही साबित करने के लिए अपने ग्रुप के गलत लोगों का बचाव करो | और बचाव के भी ऐसी दलील की तरस आ जाये सुनने वालों को आपकी धार्मिक अक्ल पर | जैसे कोई कह रहा था जो गलत करता है वह मुसलमान नहीं यहूदी होता है | जो मुसलमान मार काट कर रहे हैं वह भी मुसलमान नहीं अमेरिकी साजिश हैं |
अरे सारी दुनिया में साजिश ही चल रही है | हिन्दुओं को हिन्दुओं से लड़ाया जा रहा है जाति के आधार पर | मुस्लिमों को मुस्लिमों से ही लड़ाया जा रहा है फिरकों के आधार पर..और ये लड़ने मरने वाले यहूदी नहीं, आपके अपने ही ग्रुप के लोग हैं | कम से कम इतनी अक्ल तो रखो की इतनी सी बात भेजे में उतर जाये |
मेरी सेहत में कोई फर्क नहीं पड़ेगा यदि मैं फेसबुक में लिखना बंद कर दूं | क्योंकि मेरे लिखने से कोई आमदनी नहीं होती मुझे | कोई धर्म का ठेकेदार या राजनेता मेरा खर्चा नहीं उठा रहा | फिर भी लिख रही हूँ तो केवल आप लोगों की आँखें खोलने के लिए | और जिनको मेरे लिखने से भी तकलीफ होती है, वे यहाँ मेरी फ्रेंड लिस्ट से दफा हो लें हमेशा हमेशा के लिए |
फिर मुझे क्या लिखना है कैसे लिखना है वह भी मुझे न सिखायें | अभी तो आपको धर्म का अर्थ ही नहीं पता और धार्मिक बने फिर रहे हैं | ईश्वर भी खोज रहे हैं ठेकेदारों के चौखट में और मुझे सिखाने आ जाते हैं कि क्या लिखना है और क्या नहीं |
बस यही सब धर्म के ठेकेदारों के साथ भी होता है | और यही सब होता है खोखले धार्मिकों के साथ | हर जगह लुटते हैं धर्म के नाम पर फिर भी अक्ल नहीं आती |
कुछ अच्छे सिरफिरे सही राह दिखाने की कोशिश करते हैं, जब सही धर्म समझाने की कोशिश करते हैं तो घमंड आ जाता है सामने कि हमें तो किताबें पढ़ी हैं...चाहे समझ में धेले भर न आयी हो, लेकिन धार्मिकता की डिग्री तो मिली हुई है |
इसलिए अकड़ है |
लाजवंती के पौधे की तरह छुईमुई आपकी धार्मिक भावनाएँ आहत हो जातीं हैं | फिर मैं इस्लाम और मजहबो की दुश्मन हो जाती हूँ या फिर हिन्दू और हिंदुत्व का |
लेकिन इनके अपने अपने टोलियो के ठेकेदार जो धंधा जमाये बैठे हैं धर्म का, उनसे इनको कोई शिकायत नहीं | क्योंकि मोटा कमीशन मिलता है | इनकी दाल रोटी ही चलती है ऐसे धंधों से क्योंकि जानते हैं ईश्वर और अल्लाह दोनों इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते |
गुलाम बना रखा है ईश्वर अल्लाह को | और मुर्ख लोग जाते हैं 259 रूपये देकर दर्शन करने |
अयोध्या जी मेरे सबसे पास का तीर्थ है | दुनिया भर से लोग आते हैं दर्शन...लेकिन मैं शायद ही कभी जाना पसंद करती हूँ क्योंकि यहाँ के पण्डे बड़े बदतमीज होते हैं | और श्रद्धालु तो और भी गए गुजरे | विशेष मौको पर तो बिना धक्कामुक्की ये दर्शन भी नहीं कर सकते और पुलिस न खड़ी हो तो अंदर से कई की लाश ही बाहर निकलेगी |
सारांश यह कि धार्मिक मूढ़ता से बाहर निकलिए | ईश्वर कोई सरकारी बाबू नहीं है और न ही चिड़ियाघर में रखा जो जानवर कि टिकट लेकर या रिश्वत देकर ही दर्शन होंगे | किसी बाग़ में चले जाएँ, किसी पेड़ के नीचे चले जाएँ या एकांत में अपने कमरे में ही बैठ जाएँ, और आंखे बंद कर ईश्वर को याद करें, ईश्वर के दर्शन हो जायेंगे | ईश्वर का यूँ तमाशा न बनायें |
दूसरी बात धार्मिक होने का अर्थ यह नहीं कि अपनी टोलियो को सही साबित करने के लिए अपने ग्रुप के गलत लोगों का बचाव करो | और बचाव के भी ऐसी दलील की तरस आ जाये सुनने वालों को आपकी धार्मिक अक्ल पर | जैसे कोई कह रहा था जो गलत करता है वह मुसलमान नहीं यहूदी होता है | जो मुसलमान मार काट कर रहे हैं वह भी मुसलमान नहीं अमेरिकी साजिश हैं |
अरे सारी दुनिया में साजिश ही चल रही है | हिन्दुओं को हिन्दुओं से लड़ाया जा रहा है जाति के आधार पर | मुस्लिमों को मुस्लिमों से ही लड़ाया जा रहा है फिरकों के आधार पर..और ये लड़ने मरने वाले यहूदी नहीं, आपके अपने ही ग्रुप के लोग हैं | कम से कम इतनी अक्ल तो रखो की इतनी सी बात भेजे में उतर जाये |
मेरी सेहत में कोई फर्क नहीं पड़ेगा यदि मैं फेसबुक में लिखना बंद कर दूं | क्योंकि मेरे लिखने से कोई आमदनी नहीं होती मुझे | कोई धर्म का ठेकेदार या राजनेता मेरा खर्चा नहीं उठा रहा | फिर भी लिख रही हूँ तो केवल आप लोगों की आँखें खोलने के लिए | और जिनको मेरे लिखने से भी तकलीफ होती है, वे यहाँ मेरी फ्रेंड लिस्ट से दफा हो लें हमेशा हमेशा के लिए |
फिर मुझे क्या लिखना है कैसे लिखना है वह भी मुझे न सिखायें | अभी तो आपको धर्म का अर्थ ही नहीं पता और धार्मिक बने फिर रहे हैं | ईश्वर भी खोज रहे हैं ठेकेदारों के चौखट में और मुझे सिखाने आ जाते हैं कि क्या लिखना है और क्या नहीं |
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